ब्रह्म मुरारि सुरार्चित लिंगं निर्मल भासित शोभित लिंगम् । जन्मज दुःख विनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ । ॥
देव मुनि प्रवरार्चित लिंगं काम-दहन करुणाकर लिंगम् । रावण दर्प विनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥2॥
सर्व सुगन्धि सुलेपित लिंगं बुद्धि-विवर्द्धन कारण लिंगम् । सिद्धसुरासुर वन्दित लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥3॥
कनक महामणि भूषित लिंगं फणिपति-वेष्टित शोभित लिंगम् । दक्ष सुयज्ञ विनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 4 ॥
कुंकुम चन्दन लेपित लिंग पंकज हार सुशोभित लिंगम् । संचित पाप विनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥5॥
देवगणार्चित सेवित लिंगं भावैर्भक्तिभिरेव च लिंगम् । दिनकर कोटि प्रभाकर लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥6॥
अष्टदलो परिवेष्टित लिंगं सर्व समुद्भव कारण लिंगम् । अष्ट दरिद्र विनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 7 ॥
सुरगुरु सुरवर पूजित लिंगं सुरतरु पुष्प सदार्चित लिंगम् ।
परात्परं परमात्मक लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥8॥
ऊं नमः शिवाय🙏🏻
ऊं नमः शिवाय